साहित्य समाज का दर्पण है, इतिहास अतीत का उसमें अर्पण हैI साहित्य समाज का दर्पण है, इतिहास अतीत का उसमें अर्पण हैI
हमको बेटी की वो दर्द भरी चीख सुनाई देती है! हमको बेटी की वो दर्द भरी चीख सुनाई देती है!
क्या फ़र्क पड़ता है, दिल पर ज़ख्म एक हो या हज़ार! क्या फ़र्क पड़ता है, दिल पर ज़ख्म एक हो या हज़ार!
कर रहे हो क्यों खड़े तुम अब किसी का इंतजार। भूल जाओ तुम यहां मीरा व राधा का प्यार। कर रहे हो क्यों खड़े तुम अब किसी का इंतजार। भूल जाओ तुम यहां मीरा व राधा का प्...
आओ कविता लिखें कि कविता वाकिफ़ है हर सच्चाई से। आओ कविता लिखें कि कविता वाकिफ़ है हर सच्चाई से।
सुलग रहे नारी रक्षा पर , जलते कई सवाल । होता उसका यौनिक शोषण ,हर दिन मचे बवाल।। सुलग रहे नारी रक्षा पर , जलते कई सवाल । होता उसका यौनिक शोषण ,हर दिन मचे बवाल...